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दिवाली 2020

दिवाली हिंदुओं का सबसे बड़ा और प्रसिद्ध त्योहार है। पूरे भारत के साथ-साथ विश्व के अन्य देशों में भी इसे बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार हर वर्ष नए उत्साह, नई उमंग को लेकर आता है। बच्चों में इस दिन को लेकर खास जोश और इंतज़ार रहता है। सभी के लिए यह नए काम शुरू करने का अच्छा समय होता है। दिवाली त्योहार को हिन्दू संस्कृति की सबसे बड़ी अभिव्यक्ति के रूप में देखा जाता है। यह त्योहार बुराई की हार और अच्छाई की जीत का घोतक है। भगवान राम द्वारा लंका के राजा रावण का वध करके सीता माता को उसके चंगुल से छुड़ाकर घर वापस आने की ख़ुशी में दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। भगवान राम, माता सीता के अयोध्या आगमन पर पूरे अयोध्या वासियों ने घी के दीपक जलाकर उनका स्वागत किया था। इसी तरह सभी लोग दिवाली पर अपने घरों में घी के दीपक जलाकर राम को याद करतें हैं उनसे घर परिवार की सुख समृद्धि की प्रार्थना करतें हैं।


दिवाली 2020

हिंदुओं के लिए दिवाली धार्मिक, आध्यात्मिक व भावनात्मक रूप से बड़ा महत्व रखती है। यह त्योहार सिर्फ एक दिन का नहीं बल्कि पूरे पांच दिन का होता है। इन पांच दिनों तक पूरा देश रोशनी से नहाया रहता है। लोग दीये, लड़ियों और फूलों से अपने घरों को सजातें हैं। जितना लंबा व महत्वपूर्ण यह त्योहार है उतनी ही मेहनत इसे अच्छे से मनाने में भी लगती है। दिवाली की रात को सभी अपने-अपने घरों में भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा करतें हैं। दिवाली का यह त्योहार अंधकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता है। सिर्फ हिन्दू ही नहीं बल्कि जैन, सिख, बौद्ध व कहीं-कहीं पर मुस्लिम समुदाय के लोग भी दिवाली मानते है। जैन धर्म मे दिवाली को भगवान महावीर के मोक्ष दिवस के रूप में मनाया जाता है। सिख समुदाय में दिवाली को बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाया जाता है। सिर्फ कहने के लिए यह हिंदुओं का त्योहार है लेकिन अन्य धर्म से जुड़े लोग भी दिवाली को समान खुशी, भक्ति के साथ मानते हैं। धनतेरस से शुरू होकर इस त्योहार की रौनक भाईदूज तक रहती है इन सभी पांच दिनों का अपना विशेष महत्व होता है।

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दिवाली 2020: पौराणिक कथा एवं महत्व

हर त्योहार को मनाने के पीछे कोई कहानी या मान्यता अवश्य होती है। दिवाली को भी ऐसा ही है, माना जाता है कि कार्तिक मास की अमावस्या के दिन श्री राम चौदह वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या वापस लौटे थे इस अवसर पर अयोध्या वासियों ने उनका फूलों से स्वागत किया था, तरह-तरह के पकवान बनाये थे, अपने घरों को दियों की रोशनी से जगमगा दिया था। तभी से दिवाली का त्योहार इसी तरह से मनाया जाता है। इस दिन लोग सीता, राम की पूजा करतें है। कई स्थानों पर भगवान राम के साथ हनुमान की भी पूजा की जाती है क्योंकि रामायण में हनुमान का विशेष महत्व है। इसके अलावा ऐसा भी माना जाता है कि नरकासुर नामक राक्षस ने अपनी असुर शक्तियों से देवताओं को काफी परेशान कर दिया था, उस राक्षस के बढतें अत्याचारों से परेशान होकर सभी देवताओं ने श्री कृष्ण से मदद करने के लिए कहा था तब श्री कृष्ण ने कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरकासुर का वध कर दिया था तभी से कार्तिक मास की अमावस्या को लोग दीपक जलाकर दिवाली के रूप में इस दिन को मनाते हैं।

कब और कैसे मानते हैं दिवाली

दिवाली हर्षोल्लास व खुशियों का त्योहार है इसे अमावस्या की रात को मनाया जाता है। कार्तिक अमावस्या के दिन प्रदोष काल के अवसर पर यह त्योहार मानते हैं। यदि दो दिन तक अमावस्या तिथि प्रदोष काल स्पर्श न करे तो दूसरे दिन दिवाली मनाई जाती है। लेकिन कुछ ज्योतिषियों का मानना है कि अगर दो दिन तक अमावस्या तिथि प्रदोष काल मे नहीं आती है तो पहले दिन दिवाली मनाई जानी चाहिए। जबकि यदि अमावस्या किसी भी दिन न आए तो ऐसी स्थिति में पहले दिन चतुर्दशी तिथि को ही दिवाली मनाने का विधान है। दिवाली का मुहूर्त महानिशीथ काल या प्रदोष काल में होता है। दिवाली के त्योहार को मौसम के साथ जोड़कर भी देखा जाता है दिवाली के बाद सर्दियां आने लगती है इसलिए इसे शीत ऋतु की शुरुआत भी माना जाता है।

इस त्योहार की लोकप्रियता भारत के अलावा विश्व के अन्य देशों में भी है जैसे टोबेगो, नेपाल, सिंगापुर, सूरीनाम, मॉरीशस, फिजी में भी इसे मनाया जाता है। भारत के साथ साथ इन देशों में भी दिवाली पर राष्ट्रीय अवकाश की घोषणा की जाती है। धीरे-धीरे अन्य देश भी इस पर्व को, उसके महत्व को इसके पीछे की मान्यताओं को समझने की कोशिश कर रहें हैं क्योंकि दिवाली के माध्यम से दिया जाने वाला सत्य की विजय व शांति का संदेश विश्व भर में प्रसिद्ध होने के साथ-साथ अपनाया भी जा रहा है। दिवाली वाले दिन सभी लोग सुबह जल्दी उठकर साफ़-सुथरे वस्त्र पहनते हैं। छोटे अपने से बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद लेतें है व बड़े गले मिलकर एक दूसरे को बधाइयां देते हैं।इस दिन घर के मंदिर की साफ सफाई कर के उसे फूलों से सजातें हैं। पूजा कर के घर में गंगाजल का छिड़काव करते हैं ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है, वास्तुदोष समाप्त होते है एवं शांति की अनुभूति होती है।

दिवाली पर लोग मंदिरों में अपने सामर्थ्य के अनुसार दान पुण्य करतें हैं। इस दिन लोग एक दूसरे के घर जाकर दिवाली की शुभकामनाएं व मिठाईयां देतें हैं। बाजारों में रौनक फैली होती है हर जगह चमकती लड़ियाँ, दिए, फूल, मिठाईयां दिखाई पड़तीं हैं। रात के समय दियों की रोशनी, आतिशबाजी वातावण को मनमोहक बना देतीं हैं। शाम के समय लक्ष्मी गणेश की पूजा की जाती है उन्हें भोग लगाया जाता है फिर सब साथ मिलकर भोजन करतें है। देर रात तक दिवाली का जश्न चलता रहता है।

दिवाली 2020: मुहूर्त व पूजा विधि

दिवाली की शाम को भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है। पूजा में खील, बताशे, चीनी के बने हाथी- घोड़े, मिठाई रखी जाती है व घी का दीपक जलाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि माता लक्ष्मी दिवाली के दिन हर घर में किसी न किसी रूप में दर्शन देतीं हैं। लक्ष्मी गणेश की पूजा करने का ये निश्चित मुहुर्त होता है उसी मुहूर्त पर पूजा करने को शुभ माना जाता है इससे पूजा का पूरा लाभ भी मिलता है। प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के बाद का समय पूजा के लिए उचित समय होता है।

दिवाली 2020 पर लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त्त 17:30:10 से 19:26:01 तक
अवधि 1 घंटे 55
प्रदोष काल 17:27:47 से 20:07:03 तक
वृषभ काल 17:30:10 से 19:26:01 तक

सूचना: यह मुहूर्त नई दिल्ली के लिए प्रभावी है। जानें अपने शहर का दिवाली मुहूर्त

जिस समय वृषभ, सिंह, वृश्चिक और कुंभ राशि लग्न में उदित हों तब माता लक्ष्मी का पूजन करना सबसे शुभ माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इन चारों राशियों का स्वभाव स्थिर होता है और अगर स्थिर लग्न के समय पूजा की जाए तो माता लक्ष्मी अंश रूप में घर मे ठहर जातीं हैं। बहुत कम लोग जानते है कि इस दिन माँ काली की पूजा का भी विधान है। इस दिन यदि ब्राह्मण से घर मे पूजा पाठ करवायी जाए व उनको भोजन कराया जाए तो बहुत शुभ परिणाम मिलते हैं।

दिवाली की पूजा में घर की तिजोरी, पैसे रखने की जगह, बही खाते, और गहनों की भी पूजा की जाती है जिससे घर में लक्ष्मी का वास बना रहे। दिवाली आने के बहुत समय पहले से ही लोग तैयारियों में लग जातें हैं, घरों की साफ सफाई, सजावट, खरीदारी करनी शुरू कर देते हैं। माता लक्ष्मी को घर बुलाने के लिए घर को सजाया जाता है। किसी भी नकारात्मकता फैलाने वाली वस्तु को घर में नहीं रख जाता। शास्त्रों, पुराणों के अनुसार कार्तिक अमावस्या की अंधेरी रात को महालक्ष्मी स्वयं भूलोक पर आतीं हैं और सभी के घरों में प्रवेश करतीं हैं। इस दिन भगवान कुबेर की भी पूजा की जाती है। कुबेर की पूजा करने से साल भर घर मे धन की वर्षा होती है। दिवाली पर घर में रंगोली बनाना और दीपक जलाना लोगों की खुशी, शांति का प्रतीक भी माना जाता है ऐसा करने से मस्तिष्क में बुरे विचार नहीं आते और एक प्रकार की ऊर्जा का अनुभव होता है।

दिवाली 2020: पूजा विधि

दिवाली की पूजा करते समय पूजा चौकी पर लाल कपड़ा बिछाना चाहिए और उसपर भगवान की मूर्ति रखी जानी चाहिए इसके बाद मूर्ति को तिलक लगाकर मूर्ति के सामने फूल चढ़ाना और घी का दीपक जलाना चाहिए फिर जल, रोली, चावल, फल, गुड़, हल्दी, अबीर, गुलाल आदि के साथ पूजा शुरू करनी चाहिए। पूजा के दौरान घर के सभी सदस्य उपस्थित होने चाहिए। पूजा के बाद सभी को प्रसाद देना चाहिए। पूजा करते समय घर परिवार समाज में सुख, शांति की प्रार्थना करनी चाहिए। भोजन कपड़े, धन सभी चीजों के लिए ईश्वर का धन्यवाद करना चाहिए। इस दिन लड़ाई झगड़े को भुलाकर सबको गले लगाना चाहिए। किसी से भी बैर, मनमुटाव न रखें। आपसी प्रेम, विश्वास को बढ़ाने पर जोर देना चाहिए और यही इस त्योहार को मनाने का उद्देश्य भी है।

दिवाली के दिन कब करनी चाहिए लक्ष्मी पूजा

मुहूर्त का नाम समय विशेषता महत्व
प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त लक्ष्मी पूजन के लिए सबसे उत्तम समय स्थिर लग्न की वजह से पूजा का विशेष महत्व
महानिशीथ काल मध्य रात्रि में पड़ने वाला मुहूर्त माता काली के पूजन का विधान तांत्रिक पूजा के लिए शुभ समय

दिवाली को लेकर दिये जाने वाले ज्योतिषीय तथ्य

ज्योतिष मानते हैं कि दिवाली वाले दिन सूर्य और चंद्रमा तुला राशि और स्वाति नक्षत्र में स्थित होते हैं। इस स्थिति को बहुत शुभ माना जाता है और इस दौरान सभी राशियों को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।

क्या करें,क्या ना करें

कुछ बातें ऐसी है जो दिवाली के दिन ध्यान रखने से शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं व कुछ चीज़ें ऐसी भी है जो इस दिन करने से हानि भी हो सकती है। इसलिए हमें दोनों ही तरह की बातें ध्यान में रखनी चाहिए।

• दिवाली वाले दिन सुबह जल्दी उठकर शरीर पर तेल की मालिश करने के बाद स्नान करना बहुत शुभ माना जाता है।

• इस दिन पूजा करने के बाद ही भोजन ग्रहण करना चाहिए।

• दिवाली पर अपने पूर्वजों और देवताओं का पूजन करें, भगवान की पूजा करने के बाद अपने पूर्वजों को याद करते हुए पूजा करना शुभ होता है बाद में उनको भोग लगाएं।

• शुभ मुहूर्त पर अच्छी विधि से पूजा करने से घर मे व्याप्त दरिंद्रता, अशांति और कलेश दूर हो जाते है।

• इस दिन मीट, जुआ, मदिरापान आदि से परहेज करना चाहिए।

• शारीरिक व मानसिक शुद्धता पर ध्यान देना चाहिए।

• इस दिन किसी से लड़ाई झगड़े न करें।

• परिवार के सदस्यों के साथ समय बिताएं।

• दोपहर के समय न सोएं।

• अधिक प्रदूषण फैलाने वाले व तेज़ अवाज़ करने वाले पटाखे न जलाएं।

• रात के समय घर में अंधेरा न रहने दें, घर के हर कोने में दीपक या बल्ब जलाएं।

हम आशा करते हैं कि उपरोक्त जानकारी आपको पसंद आयी होगी। आप सब को दिवाली 2020 की शुभकामनायें।