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विद्यारंभ मुहूर्त 2020 | Vidyarambh Muhurat 2020 in hindi

साल 2020 में विद्यारंभ मुहूर्त 2020 (Vidyarambh Muhurat 2020) की शुभ तारीखों के बारे में हम आज आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे। इसके साथ ही हम आपको यह जानकारी भी देंगे की बालक/बालिकाओं का विद्यारंभ संस्कार सही मुहूर्त पर करवाना क्यों जरुरी है और इससे बच्चों को क्या लाभ प्राप्त होते हैं। जिस प्रकार हर काम की शुरुआत किसी शुभ घड़ी में की जाती है उसी प्रकार विद्या आरंभ करने के लिये भी शुभ मुहूर्त देखा जाता है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि विद्या ही वो जरिया है जिससे इंसान समाज में अपनी पहचान बनाता है और विद्या ही धरती के सारे जीवों में इंसान को सर्वश्रेष्ठ बनाती है। आज विद्या या ज्ञान की अहमियत को हर कोई समझता है और इसलिये हर कोई अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहता है। लेकिन विद्या ग्रहण करने से पहले बच्चों का सही मुहूर्त पर विद्यारंभ संस्कार करवाया जाना अति आवश्यक है। विद्यारंभ के सही मुहूर्त पर विद्यारंभ संस्कार करवाये जाने से बच्चों में सही गुण आते हैं और उन्हें बुद्धि और विवेक की प्राप्ति होती है।

Read in English - Vidyarambh Muhurat 2020

विद्यारंभ संस्कार मुहूर्त 2020

आइये अब हम आपको बताते हैं कि साल 2020 में विद्यारंभ करने का शुभ मुहूर्त कब है और इसकी समयावधि कितनी रहेगी।

विद्यारंभ मुहूर्त 2020

दिनांक वार नक्षत्र तिथि मुहूर्त का समयावधि
15 जनवरी, 2020 बुध उत्तराफाल्गुनी माघ कृ. पंचमी 07:15-19:59
16 जनवरी, 2020 गुरु हस्त माघ कृ. षष्ठी 07:15-09:42
20 जनवरी , 2020 सोम अनुराधा माघ कृ. एकादशी 07:15-19:39
27 जनवरी, 2020 सोम शतभिषा माघ शु. तृतीया 07:12-19:12
29 जनवरी, 2020 बुध उ.भाद्रपद माघ शु. चतुर्थी 10:46-19:04
30 जनवरी, 2020 गुरु उ.भाद्रपद माघ शु. पंचमी 07:11-19:00
31 जनवरी, 2020 शुक्र रेवती माघ शु. षष्ठी 07:10-15:52
6 फरवरी, 2020 गुरु आर्द्रा माघ शु. द्वादशी 07:07-18:32
10 फरवरी, 2020 सोम मघा फाल्गुन कृ. प्रतिपदा 17:06-18:17
13 फरवरी, 2020 गुरु हस्त फाल्गुन कृ. पंचमी 07:02-20:02
14 फरवरी, 2020 शुक्र स्वाति फाल्गुन कृ. षष्ठी 07:01-18:21
19 फरवरी, 2020 बुध पूर्वाषाढ़ा फाल्गुन कृ. एकादशी 06:57-19:58
20 फरवरी, 2020 गुरु पूर्वाषाढ़ा फाल्गुन कृ. द्वादशी 0656-0719
26 फरवरी, 2020 बुध उ.भाद्रपद रेवती फाल्गुन शु. तृतीया 06:50-19:31
28 फरवरी, 2020 शुक्र अश्विनी फाल्गुन शु. पंचमी 06:48-19:23
4 मार्च, 2020 बुध मृगशिरा फाल्गुन शु. नवमी 14:00-19:03
5 मार्च, 2020 गुरु आर्द्रा फाल्गुन शु. दशमी 06:42-18:59
6 मार्च, 2020 शुक्र पुनर्वसु फाल्गुन शु. एकादशी 11:47-18:56
11 मार्च, 2020 बुध हस्त चैत्र कृ. द्वितीया 06:35-18:36
13 मार्च, 2020 शुक्र स्वाति चैत्र कृ. चतुर्थी 08:51-13:59
16 अप्रैल, 2020 गुरु धनिष्ठा वैशाख कृ. नवमी 18:12-20:50
17 अप्रैल, 2020 शुक्र उ.भाद्रपद वैशाख कृ. दशमी 05:54-07:05
19 अप्रैल, 2020 रवि पूर्वाभाद्रपद वैशाख कृ. द्वादशी 05:52-19:34
26 अप्रैल, 2020 रवि रोहिणी वैशाख शु. तृतीया 05:45-13:23
27 अप्रैल, 2020 सोम मृगशिरा वैशाख शु. चतुर्थी 14:30-20:07
29 अप्रैल, 2020 बुध पुनर्वसु वैशाख शु. षष्ठी 05:42-15:13
3 मई, 2020 रवि पूर्वाफाल्गुनी वैशाख शु. दशमी 05:39-19:43
4 मई, 2020 सोम उ.फाल्गुनी हस्त वैशाख शु. एकादशी 06:13-19:19
11 मई, 2020 सोम पूर्वाषाढ़ा ज्येष्ठा कृ. चतुर्थी 06:35-19:12
13 मई, 2020 बुध श्रावण ज्येष्ठा कृ. षष्ठी 05:32-06:00
17 मई, 2020 रवि उ.भाद्रपद ज्येष्ठा कृ. दशमी 12:43-21:07
18 मई, 2020 सोम उ.भाद्रपद, रेवती ज्येष्ठा कृ. एकादशी 05:29-21:03
24 मई, 2020 रवि मृगशिरा ज्येष्ठ शु. द्वितीया 05:26-20:39
25 मई, 2020 सोम मृगशिरा ज्येष्ठ शु, तृतीया 05:26-20:35
27 मई, 2020 बुध पुनर्वसु ज्येष्ठ शु, पंचमी 05:25-20:28
28 मई, 2020 गुरु पुष्य ज्येष्ठ शु, षष्ठी 05:25-20:24
31 मई, 2020 रवि उत्तराफाल्गुनी ज्येष्ठ शु, नवमी 17:37-20:12
1 जून, 2020 सोम हस्त ज्येष्ठ शु, दशमी 05:24-13:16
3 जून, 2020 बुध स्वाति ज्येष्ठ शु, द्वादशी 05:23-06:21
7 जून, 2020 रवि मूल आषाढ़ कृ. द्वितीया 05:23-19:44
8 जून, 2020 सोम उत्तराषाढ़ा आषाढ़ कृ. तृतीया 05:23-18:21
10 जून, 2020 बुध श्रावण आषाढ़ कृ. पचमी 05:23-10:34
11 जून, 2020 गुरु धनिष्ठा आषाढ़ कृ. षष्ठी 11:28-19:29
15 जून, 2020 सोम रेवती आषाढ़ कृ. दशमी 05:23-16:31
17 जून, 2020 बुध अश्विनी आषाढ़ कृ. एकादशी 05:23-06:04

भारत के मनीषियों ने ज्ञान को सर्वोपरि माना है और इसलिये उन्होंने विद्या प्राप्त करने को अनिवार्य बताया है। भारत में सदियों से गुरु-शिष्य के रिश्ते को सबसे अहम माना गया है। हमारे शास्त्रों, धर्मग्रन्थों आदि में छपे वक्तव्यों से हमें पता चलता है कि पुराने समय में माता-पिता बच्चों को शिक्षा देने के लिये कई वर्षों के लिये गुरुजनों के पास भेज देते थे। जहां गुरु अपने शिष्यों को हर प्रकार की शिक्षा देता था। लोक व्यवहार से लेकर शास्त्र ज्ञान तक और आध्यत्म से लेकर शस्त्र ज्ञान तक गुरुओं द्वारा शिष्यों को दिया जाता था। हालांकि किसी भी तरह की विद्या देने से पहले पौराणिक समय में भी शुभ मुहूर्त पर विद्यारंभ संस्कार करवाया जाता था। इस संस्कार को करवाने का मूल उद्देश्य यह होता था कि बच्चों के अंदर शिक्षा के प्रति जिज्ञासा पैदा की जाए और यह संस्कार यदि सही मुहूर्त पर करवाया जाता है तो इससे बालक/बालिकाओं को शिक्षा क्षेत्र में अच्छे फलों की प्राप्ति होती है।

विद्यारंभ मुहूर्त 2020: विद्यारंभ मुहूर्त क्यों जरुरी है?

जिस तरह हर काम को करने का एक सही वक्त होता है उसी तरह विद्यारंभ करने के लिये भी शुभ मुहूर्त और सही उम्र का होना आवश्यक होता है। पुराने समय में लोग अपने बच्चों का विद्यारंभ संस्कार पांच साल की उम्र तक करवाते थे लेकिन आज लोग 3-4 साल की उम्र से ही बच्चों को शिक्षा देना शुरु कर देते हैं। हालांकि उम्र चाहे जो भी हो लेकिन सही मुहूर्त पर विद्यारंभ संस्कार करवाना जरुरी है। अगर सही समय पर विद्यारंभ संस्कार करवाया जाये तो बालक/बालिकाओं का भविष्य सुनहरा हो जाता है। शिक्षा के क्षेत्र में कोई परेशानी नहीं आती। एक अच्छे भविष्य के निर्माण के लिये विद्यारंभ मुहूर्त का होना बहुत ही जरुरी है। विद्यारंभ संस्कार का सही समय पर किये जाने से बच्चों को विवेक की प्राप्ति होती है और वो जीवन में आने वाली हर चुनौती को आसानी से सुलझा लेते हैं।

विद्यारंभ मुहूर्त 2020: विद्यारंभ संस्कार को सही मुहूर्त पर करने का महत्व

विद्या इंसान में अच्छे गुणों का विकास करती है और इसलिये विद्यारंभ संस्कार के जरिये उसे विद्या के महत्व को समझाया जाता है। माता पिता इस संस्कार के जरिये यह कामना करते हैं कि बच्चे की बुद्धि प्रखर हो और वो सही-गलत और सच-झूठ में अंतर कर पाये। साथ ही समाज के भले के लिये भी बच्चे का विद्यारंभ संस्कार करवाना अति आवश्यक है। शिक्षित बालक-बालिका ही एक अच्छे और मजबूत राष्ट्र का निर्माण करते हैं। विद्यारंभ संस्कार के दौरान पूजा भी की जाती है जिसमें बच्चे का स्लेट, पट्टी, कागज, दवात और गुरु से परिचय करवाया जाता है। विद्यारंभ संस्कार के दौरान माता-पिता बच्चे में शिक्षा के प्रति सकारात्मक भावनाओं का बीजारोपण करने का प्रयत्न करते हैं। एक श्रेष्ठ जीवन और उच्च विचारों के लिये सही मुहूर्त पर विद्यारंभ संस्कार का करवाया जाना अति आवश्यक है। इसीलिये किसी अच्छे ज्योतिष से शुभ घड़ी और मुहूर्त के बारे में जानकारी ली जाती है। यदि गलत समय पर विद्यारंभ संस्कार करवाया जाता है तो इससे बच्चे को नकारात्मक प्रभाव भी झेलने पड़ सकते हैं।

विद्यारंभ मुहूर्त 2020 की गणना के लिये आवश्यक जानकारी

किसी अच्छे ज्योतिष से बच्चे की जन्म कुंडली दिखाने के बाद ही विद्यारंभ मुहूर्त के बारे में जानकारी प्राप्त की जाती है। विद्यारंभ संस्कार कब करवाया जाना चाहिये इसके लिये बच्चे की जन्म कुंडली के साथ-साथ कुछ आवश्यक पहलुओं जैसे- तिथि, नक्षत्र, राशि और वार के बारे में भी विचार किया जाता है। इन सबके बारे में नीचे जानकारी दी गई है।

शुभ वार

सोमवार, गुरुवार, शुक्रवार और रविवार को विद्यारंभ संस्कार के लिये शुभ माना जाता है।

शुभ नक्षत्र

रोहिणी, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, अश्विनी, मृगशिरा, उत्तराषाढ़ा, चित्रा, स्वाति, अभिजीत, धनिष्ठा, श्रवण, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और शतभिषा , हस्त, मूल, रेवती और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्रों को विद्यारंभ के लिये शुभ माना जाता है।

शुभ राशि

विद्यारंभ के लिये वृषभ, मिथुन, सिंह, कन्या, और धनु लग्न अति शुभ माना जाता है।

शुभ तिथि

माघ शुक्ल सप्तमी, फाल्गुन शुक्ल की तृतीया और चैत्र-वैशाख की शुक्ल तृतीया तिथियों में विद्यारंभ संस्कार संपन्न करवाया जाना चाहिये।

विद्यारंभ मुहूर्त 2020: जानें संस्कार को करने की विधि

आज हम अपने इस लेख के जरिये आपको बताएंगे कि विद्यारंभ संस्कार को करने की सही विधि क्या है।

  1. विद्यारंभ संस्कार को करने से पूर्व बालक या बालिका को स्नान करवाना चाहिये और स्वच्छ कपड़े पहनाने चाहिये। माता पिता को भी स्नान-ध्यान करके नये वस्त्र पहनने चाहिये।
  2. संस्कार शुरु करने के लिये सबसे पहले गणेश वंदना करनी चाहिये और मंत्र का भी जाप किया जाना चाहिये।
  3. इसके बाद माता सरस्वती का ध्यान करके मंत्र के उच्चारण सहित पूजा करनी चाहिये।
  4. सरस्वती पूजा के बाद गुरु पूजा की जाती है यदि गुरु उपस्थित नहीं है तो नारियल को गुरु का प्रतीक मानकर नारियल की पूजा की जाती है।
  5. इसके पश्चात शिक्षा प्राप्ति के लिये आवश्यक चीजों को जैसे कलम, दवात, पाटी आदि की भी विधि पूर्वक पूजा की जाती है। शिक्षा में उपयोग होने वाले उपकरणों को वेद मंत्रों की मदद से अभिमंत्रित किया जाना भी आवश्यक होता है ताकि इनके प्रारंभिक प्रभाव से बच्चे को मंगलकारी प्रभाव प्राप्त हो सकें।

विद्यारंभ मुहूर्त 2020: पूजा विधि

विद्यारंभ मुहूर्त के दौरान गणेश भगवान, सरस्वती माता, लेखनी, पट्टी और गुरु की पूजा की जाती है।

गणेश पूजा

भगवान गणेश को हिंदू धर्म में बुद्धि के देवता के रुप में जाना जाता है इसके साथ ही यह मान्यता भी है कि किसी भी शुभ काम को करने से पहले भगवान गणेश की पूजा अवश्य की जानी चाहिये। इसलिये विद्यारंभ संस्कार के दौरान भी सबसे पहले भगवान गणेश को पूजा जाता है। गणेश जी की पूजा करते हुए माता पिता यह कामना करते हैं कि गणेश भगवान बच्चे को तीक्ष्ण बुद्धि दें और उसके भविष्य को उज्जवल बनाएं।

सरस्वती पूजा

माता सरस्वती को विद्या की देवी कहा जाता है। विद्यारंभ संस्कार के दौरान माता सरस्वती की पूजा अवश्य करनी चाहिये।

पट्टी पूजा

पुराने जमाने में विद्यारंभ संस्कार के दौरान पट्टी को पूजा जाता था लेकिन आज के समय में कॉपी को इसके जगह प्रयोग किया जाता है। पट्टी पूजा के दौरान बच्चे से पट्टी पर या कागज पर पेन से कुछ लिखवाया जाता है।

लेखनी पूजा

लेखनी यानि पेन या पेंसील, लेखनी पूजन के दौरान बच्चे के हाथ में लेखनी दी जाती है और उसे माता पिता की मदद से कॉपी पर कुछ लिखवाया जाता है।

गुरु पूजा

शिक्षा प्राप्ति में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है इसलिये विद्यारंभ संस्कार के दौरान गुरु की भी पूजा की जाती है।

विद्यारंभ संस्कार की पूजा हो जाने के बाद गुरु बच्चे के हाथ में कॉपी और कलम देता है और पट्टी पर पहला अक्षर और गायत्री मंत्र भी लिखता है। यह संस्कार करते हुए गुरु को पूर्व और बच्चे को पश्चिम दिशा की ओर बैठना चाहिये। यदि गुरु न हो तो माता पिता को यह संस्कार स्वयं ही करना चाहिये।

हम आशा करते हैं कि विद्यारंभ मुहूर्त 2020 पर लिखा गया हमारा यह लेख आपको पसंद आया होगा। हम आपके सुनहरे भविष्य की कामना करते हैं।