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बिहू 2020 दिनांक, महत्व और पकवान

बिहू 2020 (Bihu 2020): बिहू त्योहार इस वर्ष 15 जनवरी को मनाया जाएगा। बिहू भारत के उत्तर पूर्व में स्थित असम राज्य का एक महत्वपूर्ण त्योहार है वहां इस त्योहार को नए वर्ष के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सूर्य मेष राशि में गोचर करता है इसलिये इस त्योहार को नए साल के कैलेंडर की शुरुआत माना जाता है। बिहू शब्द दिमासा लोगों की भाषा से लिया गया है। यह प्राचीन काल से कृषि करने वाला एक समुदाय है इनके सर्वोच्च देवता ब्राई शिबनाई या पिता शिबनाई है इस दिन इनकी पूजा की जाती है। बिहू का मूल शब्द बिशु है जिसमें ‘बि’ का मतलब है है 'पूछना' और ‘शु’ का मतलभ होता है पृथ्वी में शांति और समृद्धि। भाषाई तरजीह को समायोजित करने के लिए यह बिहू हो गया जिसमें बि का मतलब है 'पूछना' और हू का मतलब होता है देना। बिशु से ही बिहू शब्द बना है। इस मौके पर लोग अपनी फसलों की कटाई करतें हैं और ईश्वर को सभी सुविधाओं के लिए धन्यवाद देतें हैं। इस दिन खेत में उगाई गई नई फसलों से ही पकवान बनाएं जाते है। पहले भगवान को भोग लगाया जाता है फिर सब आपस मे मिल बांटकर खातें हैं।

बिहू 2020 दिनांक, महत्व और पकवान

इस दिन के बाद से ही नई फसलों को भोजन बनाने में प्रयोग किया जाता है। बिहू का त्योहार साल में एक बार नहीं बल्कि तीन बार मनाया जाता है। इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। मकर संक्रांति के समय मनाई जाने वाली बिहू को भोगाली बिहू कहते हैं। विषुव संक्रांति को मनाई जाने वाली बिहू को रोंगाली बिहू और कार्तिक माह में मनाई जाने वाली बिहू को कोंगली बिहू कहा जाता है।

भोगाली बिहू जनवरी माह के मध्य में मनाई जाती है इसे भोगाली बिहू इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें भोग का बड़ा महत्व होता है मतलब इस समय अच्छा से अच्छा खाया जाता है और तरह-तरह की खाद्य सामग्री लोगों के घरों में बांटी जाती है साथ ही नए नए वस्त्र पहने जातें हैं। पूरे असम व उसके आस पास वाले राज्यों में बिहू बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। इस दिन असम का प्राकर्तिक सौंदर्य और निराला लगता है। हर जगह असम की खूबसूरत संस्कृति की छटा दिखाई पड़ती है। शांत समझे जाने वाले इन उत्तर पूर्वी राज्यों में त्यौहार की खुशी उत्साह भर देती है। इस दिन निभाए जाने वाले सभी रीति-रिवाजों को सभी लोग बेहद खुश होकर देखते व समझते है। भारत मे मनाए जाने वाले सभी त्योहारों में बिहू अपनी अलग पहचान रखता है।

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बिहू 2020: महत्व और इसे मनाने का तरीका

बिहू त्योहार पूर्ण रूप से फसलों की कटाई और प्रकति से जुड़ा त्योहार है। इस त्योहार के बाद बसंत ऋतु का आगमन हो जाता है, धीरे धीरे सर्दियां कम होती जातीं हैं। इस दिन सभी लोग अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं। विभिन्न प्रकार के पकवान तैयार किये जाते हैं, लोग अपनी पारंपरिक पोषक पहनकर नृत्य करते हैं। बिहू एक दिन का नहीं बल्कि सात दिन का त्योहार होता है जिसमें हर दिन का अलग-अलग महत्व होता है। इन सात दिनों तक सभी अच्छा खाना खाने, अपनी साफ सफाई, साफ वस्त्र पहनने पर ध्यान देतें हैं। सातों दिनों तक त्योहार की चमक लोगों के मन और प्राकृतिक वातावरण में बनी रहती है। बिहू पर्व की तैयारी लोग नए साल से ही करनी शुरू कर देतें है। इस दिन लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करतें है, इस दिन नहाने के लिए कच्ची हल्दी और उड़द की दाल का पेस्ट लगते हैं जिससे शरीर में एक नई ताज़गी और सुंदरता का एहसास होता है। नहाने के बाद अपनी पारंपरिक पोषक पहनकर पूजा को जाती है।

ऐसा माना जाता है कि इस दिन पूजा करने से घर परिवार में सुख व समृद्धि आती है, नकारात्मकता दूर रहती है और शारीरिक एवं मानसिक शांति का अनुभव होता है। इस दिन छोटे अपने बड़ों का आशीर्वाद लेतें हैं। सभी एक दूसरे को गले मिलते हैं, मिठाई ख़िलातें है और उपहार भेंट करतें है। उपहार देना इस पर्व की पुरानी परंपरा है।

इस दिन असम में खार नाम का एक खास व्यंजन बनाते है जो कच्चे पपीते से बनाया जाता है। इसमें जले हुए केले के तने को मिलाया जाता है इसलिए इसका स्वाद थोड़ा कड़वा होता है लेकिन यहां के लोग इसे बड़े चाव के साथ खातें है। इस दिन लोग पारंपरिक नृत्य करतें है और अपना पारंपरिक संगीत भी बजाते हैं जिसमे ढोल, ताल, पेपा, टोका, बाँहि, गोगोना जैसे बजाने वाले यंत्र शामिल होते हैं। सभी का एक साथ मिलकर नृत्य करना बिहू पर्व की खास पहचान है। आपसी मेलजोल बढ़ाने, खुशियां बांटने के लिए इस पर्व का बड़ा महत्व है। इस दिन खाने के लिए चावल के साथ दही और गुड़ दिया जाता है। घर की महिलाएं बहुत पहले से इस दिन की तैयारियों में लग जातीं है। इस दिन का आनंद और खुशी उनकी सारी थकान उतार देता है। बिहू पर्व मुख्य रूप से ईश्वर द्वारा दी गई प्राकृतिक सौंदर्यता, अच्छी फसल, समृद्धि व शांति के लिए भगवान को धन्यवाद करने का पर्व होता है। इस पर्व का मूल ही ईश्वर के प्रति कृतज्ञता प्रकट करना है।

बिहू 2020: बनाए जाने वाले व्यंजन

बिहू पर्व पर मुख्य रूप से पांच व्यंजन जरूर बनाये जाते हैं जिसमें जाक, मसोर टेंगा, मशगो, आलू पितिका, खार, शामिल हैं।

• खार असम की बेहद लोकप्रिय डिश है इसे यहां सब लोग बड़े चाव से खाना पसंद करते हैं यह बच्चे से बूढ़े तक सभी का मनपसंद व्यंजन है। इसमें क्षारीय तत्व डाला जाता है जो पेट की सफाई करने के साथ-साथ बॉडी को संतुलित भी करता है।

• मसोर टेंगा मतलब मछली, यह असम की सबसे प्रचलित डिश है जिसमें नींबू, टमाटर, हर्ब्स, कोकम आदि मिलाया जाता है जिससे इसका स्वाद थोड़ा खट्टा हो जाता है।

• जाक या साग हरी पत्तेदार सब्ज़ियों से बनाया जाता है इसमें कई तरह के मसलों के साथ जीरे व लहसून का तड़का लगाया जाता है।

• आलू पितिका बेहद हल्का व्यंजन होता है जिसे बिहार में चोखा कहते है। इसे उबले हुए आलुओं से बनाया जाता है जिसमे प्याज, लहसुन व सरसों का तेल डाल जाता है।

• माशगो जिसे मटन करी कहा जाता है असम में बेहद पसंद की जाने वाली मांसाहारी डिश है जिसको सभी बड़े चाव के साथ खाते हैं।

बिहू 2020: सावधानियां

बिहू पर्व मनाने के दौरान कुछ सावधानियां भी सभी को बरतनी होती हैं। कुछ नियम होते हैं जिनका बिहू मनाने वाले हर व्यक्ति को पालन करना होता है इनके बिना की गई पूजा का लाभ पूरी तरह से नहीं मिलता व न ही त्योहार का पूर्ण रूप से आनंद उठाया जा सकता है। पूजा विधि, समय, पारंपरिक तरीके जानना बेहद आवश्यक होता है। सातों दिन तक रहन सहन में अपनाए जाने वाले तोर-तरीके बेहद अहम माने जाते हैं।

• इस दिन घर में तुलसी का पौधा अनिवार्य रूप से लगाया जाना चाहिए, ऐसा करना शुभ माना जाता है।

• इस दिन घर आये सभी लोगों को अच्छा भोजन कराया जाता है, खाने में मीठा ज़रूर होता है।

• बिहू पर्व में चार बांस लगाकर उस पर पुआल एवं लकड़ी से ऊंचे गुम्बद का निर्माण करना शुभ माना जाता है, ऐसा करने से शांति व समृद्धि आती है।

• इस दिन पीपल और बबूल के पेड़ को छूना अशुभ माना जाता है।

• सुबह जल्दी उठकर स्नान करके पारंपरिक वस्त्र पहनने चाहिए।

• पकवान नई फसल से ही बनाये जाने चाहिए, इस दिन से पहले फसल का खाने में प्रयोग नहीं होता। देवताओं को भोग लगाने के बाद ही फसल को खाना बनाने में प्रयोग किया जाता है।

आशा करते हैं उपरोक्त जानकारी आपको पसंद आयी होगी। बिहू की आपको हार्दिक शुभकामनाएं।