अन्नप्राशन मुहूर्त 2020 के अपने इस लेख में आज हम बताएंगे कि साल 2020 में किन तिथियों में यह संस्कार करवाना शुभ रहेगा। आपको बता दें कि अन्नप्राशन संस्कार हिंदू धर्म के 16 संस्कारों में से एक है और इस संस्कार को सभी 16 संस्कारों में सातवां स्थान प्राप्त है। अन्नप्राशन मुहूर्त के इस लेख में हम आपको न केवल इस समारोह से जुड़ी खास बातों के बारे में बताएंगे बल्कि इस संस्कार को करने के लिये शुभ दिन, वार, माह और नक्षत्र के बारे में भी जानकारी देंगे।
Read in English - Annaprashan Muhurat 2020
दिनाँक | दिन | नक्षत्र | मास-तिथि | अन्नप्राशन मुहूर्त की समयावधि |
2 जनवरी | गुरुवार | पूर्वाभाद्रपद | पौष शु. सप्तमी | 07:14-12:44 बजे तक |
8 जनवरी | बुधवार | रोहिणी | पौष शु. त्रयोदशी | 07:15-13:56 बजे तक |
27 जनवरी | सोमवार | शतभिषा |
माघ शु. तृतीया
|
07:12-14:37 बजे तक |
29 जनवरी | बुधवार | पूर्वाभाद्रपद | माघ शु. चतुर्थी | 12:13-14:29 बजे तक |
30 जनवरी | गुरुवार | उत्तराभाद्रपद | माघ शु. पंचमी | 07:11-13:20 बजे तक |
7 फरवरी | शुक्रवार | पुनर्वसु | माघ शु. त्रयोदशी | 07:06-13:53 बजे तक |
26 फरवरी | बुधवार | उत्तराभाद्रपद | फाल्गुन शु. तृतीया | 06:50-14:53 बजे तक |
28 फरवरी | शुक्रवार | अश्विनी | फाल्गुन शु. पंचमी | 06:48-14:45 बजे तक |
5 मार्च | गुरुवार | आर्द्रा | फाल्गुन शु. दशमी | 11:26-13:19 बजे तक |
26 मार्च | गुरुवार | रेवती | चैत्र शु, द्वितीया | 06:18-15:20 बजे तक |
3 अप्रैल | शुक्रवार | पुष्य | चैत्र शु. दशमी | 06:09-13:58 बजे तक |
6 अप्रैल | सोमवार | पूर्वाफाल्गुनी | चैत्र शु. त्रयोदशी | 12:16-14:36 बजे तक |
8 अप्रैल | बुधवार | हस्त | पूर्णिमा | 06:03-08:05 बजे तक |
30 अप्रैल | गुरुवार | पुष्य | वैशाख शु. सप्तमी | 05:41-14:39 बजे तक |
25 मई | सोमवार | मृगशिरा | ज्येष्ठ शु. तृतीया | 05:26-05:54 बजे तक |
27 मई | बुधवार | पुनर्वसु | ज्येष्ठ शु. पंचमी | 05:25-15:49 बजे तक |
1 जून | सोमवार | हस्त | ज्येष्ठ शु. दशमी | 05:24-13:16 बजे तक |
5 जून | शुक्रवार | अनुराधा | पूर्णिमा | 13:56-15:14 बजे तक |
22 जून | सोमवार | आर्द्रा | आषाढ़ शु. प्रतिपदा | 13:31-16:27 बजे तक |
24 जून | बुधवार | पुष्य | आषाढ़ शु. तृतीया | 05:25-10:14 बजे तक |
27 जुलाई | सोमवार | चित्रा | श्रावण शु. सप्तमी | 05:40-07:10 बजे तक |
29 जुलाई | बुधवार | विशाखा | श्रावण शु. दशमी | 08:33-15:34 बजे तक |
03 अगस्त | सोमवार | उत्तराषाढ़ा | पूर्णिमा | 09:26-16:00 बजे तक |
21 अगस्त | शुक्रवार | उत्तराफाल्गुनी | भाद्रपद शु. तृतीया | 05:54-14:00 बजे तक |
27 अगस्त | गुरुवार | ज्येष्ठा | भाद्रपद शु. नवमी | 12:37-14:26 बजे तक |
28 अगस्त | शुक्रवार | मूल | भाद्रपद शु. दशमी | 05:57-08:39 बजे तक |
31 अगस्त | सोमवार | श्रवण | भाद्रपद शु. त्रयोदशी | 05:59-08:49 बजे तक |
2 सितंबर | बुधवार | शतभिषा | पूर्णिमा | 06:00-10:52 बजे तक |
18 सितंबर | शुक्रवार | उ.फाल्गुनी | आश्विन शु. प्रतिपदा | 12:51-15:03 बजे तक |
19 अक्टूबर | सोमवार | अनुराधा | आश्विन शु. तृतीया | 06:26-06:49 बजे तक |
21 अक्टूबर | बुधवार | मूल | आश्विन शु. पंचमी | 06:27-06:57 बजे तक |
23 अक्टूबर | शुक्रवार | उत्तराषाढ़ा | आश्विन शु. सप्तमी | 06:29-06:57 बजे तक |
26 अक्टूबर | सोमवार | शतभिषा | आश्विन शु. दशमी | 06:29-09:00 बजे तक |
29 अक्टूबर | गुरुवार | उत्तराभाद्रपद | आश्विन शु. त्रयोदशी | 06:31-14:04 बजे तक |
16 नवंबर | सोमवार | अनुराधा | कार्तिक शु. प्रतिपदा | 07:07-12:54 बजे तक |
19 नवंबर | गुरुवार | पूर्वषाढ़ा | कार्तिक शु. पंचमी | 09:38-12:42 बजे तक |
27 नवंबर | शुक्रवार | अश्विनी | कार्तिक शु. द्वादशी | 08:28-13:38 बजे तक |
30 नवंबर | सोमवार | रोहिणी | कार्तिक पूर्णिमा | 06:56-13:26 बजे तक |
17 दिसंबर | गुरुवार | उत्तराषाढ़ा | मार्गशीर्ष शु. तृतीया | 07:08-13:44 बजे तक |
24 दिसंबर | गुरुवार | अश्विनी | मार्गशीर्ष शु. दशमी | 07:11-13:17 बजे तक |
जैसा कि हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि अन्नप्राशन संस्कार हिंदू धर्म के सोलह संस्कारों में से एक है। इस संस्कार के नाम से ही जाहिर है कि इसका संबंध अन्न से है। इस संस्कार के तहत बच्चे को पहली बार अन्न ग्रहण करवाया जाता है। अन्न से ही जीवन चलता है और इसी से इंसान को ऊर्जा मिलती है इसलिये अन्नप्राशन संस्कार को हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण स्थान हासिल है। अन्नप्राशन संस्कार बच्चे के जन्म के 6 माह बाद करवाया जाता है। अन्नप्राशन शब्द अन्न और प्राशन दो शब्दों से मिलकर बना है जिसमें अन्न का अर्थ है भोजन और प्राशन का अर्थ है प्रक्रिया यानि अन्न को ग्रहण करने की प्रक्रिया। भारत के अलग-अलग हिस्सों में अन्नप्राशन को अलग-अलग नामों से जाना जाता है हालांकि इसकी प्रक्रिया लगभग एक जैसी ही होती है।
अन्नप्राशन संस्कार का मुख्य उद्देश्य होता है कि इसे शुभ मुहूर्त पर करके बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य की कामना की जाये। शिशु के माता पिता इस संस्कार के जरिये शिशु के अच्छे स्वास्थ्य के साथ-साथ यह कामना भी करते हैं कि वह बलशाली, बुद्धिवान औऱ धैर्यवान हो। जैसा कि हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि अन्नप्राशन संस्कार हिंदू धर्म के सोलह संस्कारों में से एक है। इस संस्कार के नाम से ही जाहिर है कि इसका संबंध अन्न से है। इस संस्कार के तहत बच्चे को पहली बार अन्न ग्रहण करवाया जाता है। अन्न से ही जीवन चलता है और इसी से इंसान को ऊर्जा मिलती है इसलिये अन्नप्राशन संस्कार को हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण स्थान हासिल है। अन्नप्राशन संस्कार बच्चे के जन्म के 6 माह बाद करवाया जाता है। अन्नप्राशन शब्द अन्न और प्राशन दो शब्दों से मिलकर बना है जिसमें अन्न का अर्थ है भोजन और प्राशन का अर्थ है प्रक्रिया यानि अन्न को ग्रहण करने की प्रक्रिया। भारत के अलग-अलग हिस्सों में अन्नप्राशन को अलग-अलग नामों से जाना जाता है हालांकि इसकी प्रक्रिया लगभग एक जैसी ही होती है।
किसी भी संस्कार को करने के पीछे एक उद्देश्य होता है, इसी तरह अन्नप्राशन संस्कार को भी इस उद्देश्य से किया जाता है कि, इससे शिशु को अन्न को पचाने की सही क्षमता मिल सके और उसका शरीर अन्न से बलशाली बने। इसलिये शिशु के भविष्य के लिये सही मुहूर्त पर अन्नप्राशन करवाने की आवश्यकता होती है। अगर अन्नप्राशन सही समय पर न करवाया जाए तो इससे शिशु पर आने वाले समय में गलत प्रभाव पड़ सकते हैं।
हिंदू धर्म के सभी संस्कारों की तरह अन्नप्राशन संस्कार की भी गणना की जाती है। सही समय पर अन्नप्राशन करवाना बच्चे के भविष्य और स्वास्थ्य के लिये शुभ माना जाता है। अन्नप्राशन संस्कार को करने के लिये सही मुहूर्त का चुनाव किया जाता है। साल 2020 में अन्नप्राशन करवाने के लिये सही मुहूर्त की जानकारी ऊपर दी गई तालिका में है। इसके अलावा कुछ बातें हैं जिनका ध्यान रखना बहुत जरुरी है। इन बातों के बारे में हम आपको नीचे बता रहे हैं।
भारत में किसी भी शुभ काम को करने से पहले शुभ मुहूर्त की गणना अवश्य की जाती है। हालांकि मुहूर्त की गणना करना बहुत आसान नहीं होता इसके लिये कई पहलुओं पर विचार करना पड़ता है। यही वजह है कि लोग किसी विशेषज्ञ के पास सही मुहूर्त की गणना करने जाते हैं। साल 2020 में यदि आप शिशु का अन्नप्राशन संस्कार करना चाहते हैं तो हमारे इस लेख में आपको बहुत सारी ऐसी जानकारियां मिल गई होंगी जिनकी मदद से आप अन्नप्राशन संस्कार कर सकते हैं। शास्त्रों के अनुसार यदि सही तरह से अन्नप्राशन मुहूर्त की गणना करके अन्नप्राशन करवाया जाये तो शिशु को भविष्य में अच्छे फल मिलते हैं और वह कई प्रतिकूल प्रभावों से बच जाता है।