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गृह प्रवेश मुहूर्त 2019

पढ़ें साल 2019 में गृह प्रवेश के शुभ मुहूर्त और जानें किस तारीख, समय, नक्षत्र और तिथि में करें नए घर में प्रवेश। साथ ही गृह प्रवेश मुहूर्त में किन बातों का रखें ध्यान।

गृह प्रवेश मुहूर्त 2019

गृह प्रवेश मुहूर्त 2019
दिनाँक दिन तिथि नक्षत्र समय
21 जनवरी 2019 सोमवार पूर्णिमा पुष्य नक्षत्र में 10:46 - 26:27 बजे तक
24 जनवरी 2019 गुरुवार चतुर्थी पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में 20:54 - 31:13 बजे तक
25 जनवरी 2019 शुक्रवार पंचमी उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में 07:13 - 16:25 बजे तक
26 जनवरी 2019 शनिवार षष्ठी हस्ता नक्षत्र में 15:04 - 31:12 बजे तक
28 जनवरी 2019 सोमवार अष्टमी स्वाति नक्षत्र में 07:12 - 14:28 बजे तक
30 जनवरी 2019 बुधवार दशमी अनुराधा नक्षत्र में 15:38 - 16:40 बजे तक
06 फरवरी 2019 बुधवार द्वितीया धनिष्ठा नक्षत्र में 07:07 - 31:06 बजे तक
07 फरवरी 2019 गुरुवार द्वितीया शतभिषा नक्षत्र में 07:06 - 12:09 बजे तक
09 फरवरी 2019 शनिवार चतुर्थी उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में 12:26 - 31:04 बजे तक
15 फरवरी 2019 शुक्रवार दशमी मृगशिरा नक्षत्र में 07:27 - 20:52 बजे तक
20 फरवरी 2019 बुधवार प्रतिपदा मघा नक्षत्र में 29:04 - 30:55 बजे तक
21 फरवरी 2019 गुरुवार द्वितीया उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में 06:55 - 23:11 बजे तक
23 फरवरी 2019 शनिवार चतुर्थी चित्रा नक्षत्र में 08:11 - 30:52 बजे तक
25 फरवरी 2019 सोमवार सप्तमी विशाखा नक्षत्र में 22:08 - 30:50 बजे तक
02 मार्च 2019 शनिवार एकादशी उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में 11:30 - 30:45 बजे तक
04 मार्च 2019 सोमवार त्रयोदशी श्रवण नक्षत्र में 12:10 - 16:29 बजे तक
07 मार्च 2019 गुरुवार प्रतिपदा उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में 20:54 - 30:40 बजे तक
08 मार्च 2019 शुक्रवार द्वितीया उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में 06:40 - 30:38 बजे तक
09 मार्च 2019 शनिवार तृतीया रेवती नक्षत्र में 06:38 - 21:39 बजे तक
13 मार्च 2019 बुधवार सप्तमी रोहिणी नक्षत्र में 06:34 - 28:23 बजे तक
16 मार्च 2019 शनिवार दशमी पुनर्वसु नक्षत्र में 26:13 - 28:31 बजे तक
20 मार्च 2019 बुधवार चतुर्दशी पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में 20:58 - 30:25 बजे तक
21 मार्च 2019 गुरुवार पूर्णिमा उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में 06:25 - 07:13 बजे तक
19 अप्रैल 2019 शुक्रवार पूर्णिमा चित्रा नक्षत्र में 16:42 - 29:51 बजे तक
20 अप्रैल 2019 शनिवार प्रतिपदा स्वाति नक्षत्र में 05:51 - 17:58 बजे तक
25 अप्रैल 2019 गुरुवार षष्ठी पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में 25:39 - 29:45 बजे तक
26 अप्रैल 2019 शुक्रवार सप्तमी उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में 05:45 - 23:14 बजे तक
29 अप्रैल 2019 सोमवार दशमी शतभिषा नक्षत्र में 08:02 - 29:42 बजे तक
02 मई 2019 गुरुवार त्रयोदशी उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में 06:42 - 27:21 बजे तक
06 मई 2019 सोमवार द्वितीया रोहिणी नक्षत्र में 16:36 - 29:36 बजे तक
10 मई 2019 शुक्रवार षष्ठी पुनर्वसु नक्षत्र में 14:21 - 29:33 बजे तक
11 मई 2019 शनिवार सप्तमी पुष्य नक्षत्र में 05:33 - 13:13 बजे तक
16 मई 2019 गुरुवार त्रयोदशी चित्रा नक्षत्र में 05:42 - 20:20 बजे तक
18 मई 2019 शनिवार पूर्णिमा विशाखा नक्षत्र में 26:22 - 26:41 बजे तक
23 मई 2019 गुरुवार पंचमी उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में 05:27 - 23:48 बजे तक
25 मई 2019 शनिवार सप्तमी श्रवण नक्षत्र में 19:36 - 23:43 बजे तक
29 मई 2019 बुधवार दशमी उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में 15:21 - 28:04 बजे तक
30 मई 2019 गुरुवार एकादशी रेवती नक्षत्र में 05:24 - 22:15 बजे तक
03 जून 2019 सोमवार पूर्णिमा रोहिणी नक्षत्र में 15:32 - 26:48 बजे तक
07 जून 2019 शुक्रवार चतुर्थी पुष्य नक्षत्र में 07:38 - 18:56 बजे तक
10 जून 2019 सोमवार अष्टमी पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में 14:21 - 22:24 बजे तक
12 जून 2019 बुधवार दशमी चित्रा नक्षत्र में 11:51 - 27:37 बजे तक
13 जून 2019 गुरुवार एकादशी चित्रा नक्षत्र में 16:49 - 28:07 बजे तक
14 जून 2019 शुक्रवार द्वादशी स्वाति नक्षत्र में 05:23 - 10:16 बजे तक
18 जुलाई 2019 गुरुवार द्वितीया श्रवण नक्षत्र में 25:34 - 29:35 बजे तक
19 जुलाई 2019 शुक्रवार द्वितीया धनिष्ठा नक्षत्र में 05:35 - 20:03 बजे तक
22 जुलाई 2019 सोमवार पंचमी पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में 10:24 - 29:37 बजे तक
24 जुलाई 2019 बुधवार सप्तमी रेवती नक्षत्र में 05:38 - 14:54 बजे तक
27 जुलाई 2019 शनिवार दशमी कृतिका नक्षत्र में 19:46 - 28:45 बजे तक
29 जुलाई 2019 सोमवार द्वादशी मृगशिरा नक्षत्र में 08:00 - 18:22 बजे तक
01 अगस्त 2019 गुरुवार पूर्णिमा पुष्य नक्षत्र में 08:42 - 12:11 बजे तक
05 अगस्त 2019 सोमवार पंचमी हस्ता नक्षत्र में 23:47 - 29:45 बजे तक
07 अगस्त 2019 बुधवार सप्तमी स्वाति नक्षत्र में 05:46 - 11:41 बजे तक
09 अगस्त 2019 शुक्रवार नवमी अनुराधा नक्षत्र में 10:00 - 21:58 बजे तक
12 अगस्त 2019 सोमवार द्वादशी पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में 26:51 - 29:49 बजे तक
15 अगस्त 2019 गुरुवार पूर्णिमा श्रवण नक्षत्र में 08:02 - 15:59 बजे तक
14 अक्टूबर 2019 सोमवार प्रतिपदा रेवती नक्षत्र में 06:21 - 09:32 बजे तक
18 अक्टूबर 2019 शुक्रवार चतुर्थी रोहिणी नक्षत्र में 07:29 - 27:22 बजे तक
19 अक्टूबर 2019 शनिवार पंचमी मृगशिरा नक्षत्र में 14:45 - 17:40 बजे तक
21 अक्टूबर 2019 सोमवार सप्तमी पुनर्वसु नक्षत्र में 17:32 - 29:25 बजे तक
25 अक्टूबर 2019 शुक्रवार द्वादशी पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में 11:00 - 30:03 बजे तक
28 अक्टूबर 2019 सोमवार पूर्णिमा स्वाति नक्षत्र में 09:08 - 25:00 बजे तक
30 अक्टूबर 2019 बुधवार तृतीया अनुराधा नक्षत्र में 06:32 - 21:59 बजे तक
02 नवंबर 2019 शनिवार षष्ठी पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में 23:01 - 30:23 बजे तक
04 नवंबर 2019 सोमवार अष्टमी श्रवण नक्षत्र में 27:23 - 28:57 बजे तक
06 नवंबर 2019 बुधवार नवमी धनिष्ठा नक्षत्र में 07:21 - 30:37 बजे तक
07 नवंबर 2019 गुरुवार दशमी शतभिषा नक्षत्र में 06:37 - 08:41 बजे तक
08 नवंबर 2019 शुक्रवार एकादशी पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में 12:24 - 30:39 बजे तक
09 नवंबर 2019 शनिवार द्वादशी उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में 06:39 - 30:40 बजे तक
13 नवंबर 2019 बुधवार प्रतिपदा कृतिका नक्षत्र में 22:00 - 30:43 बजे तक
14 नवंबर 2019 गुरुवार द्वितीया रोहिणी नक्षत्र में 06:43 - 30:44 बजे तक
15 नवंबर 2019 शुक्रवार तृतीया मृगशिरा नक्षत्र में 06:44 - 07:53 बजे तक
18 नवंबर 2019 सोमवार षष्ठी पुष्य नक्षत्र में 06:46 - 17:10 बजे तक
21 नवंबर 2019 गुरुवार दशमी उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में 18:29 - 22:17 बजे तक
22 नवंबर 2019 शुक्रवार एकादशी उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में 09:01 - 16:41 बजे तक
23 नवंबर 2019 शनिवार द्वादशी हस्ता नक्षत्र में 14:44 - 30:51 बजे तक
27 नवंबर 2019 बुधवार प्रतिपदा अनुराधा नक्षत्र में 06:53 - 08:12 बजे तक
30 नवंबर 2019 शनिवार पंचमी उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में 18:05 - 23:14 बजे तक
02 दिसंबर 2019 सोमवार षष्ठी श्रवण नक्षत्र में 11:43 - 30:58 बजे तक
04 दिसंबर 2019 बुधवार अष्टमी शतभिषा नक्षत्र में 12:28 - 17:09 बजे तक
05 दिसंबर 2019 गुरुवार नवमी पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में 28:15 - 31:00 बजे तक
06 दिसंबर 2019 शुक्रवार दशमी उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में 07:00 - 16:30 बजे तक
07 दिसंबर 2019 शनिवार एकादशी रेवती नक्षत्र में 17:03 - 19:35 बजे तक
11 दिसंबर 2019 बुधवार चतुर्दशी कृतिका नक्षत्र में 22:54 - 31:04 बजे तक
12 दिसंबर 2019 गुरुवार प्रतिपदा मृगशिरा नक्षत्र में 07:04 - 10:42 बजे तक
27 दिसंबर 2019 शुक्रवार प्रतिपदा पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में 17:30 - 31:13 बजे तक
28 दिसंबर 2019 शनिवार द्वितीया उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में 07:13 - 18:43 बजे तक
30 दिसंबर 2019 सोमवार चतुर्थी धनिष्ठा नक्षत्र में 13:55 - 31:14 बजे तक
गृह प्रवेश मुहूर्त 2019 (पुराने घर में प्रवेश के लिए)
दिनाँक दिन तिथि नक्षत्र समय
गृह प्रवेश मुहूर्त 2019 (पुराने घर में प्रवेश के लिए)
दिनाँक दिन तिथि नक्षत्र समय
26 जनवरी 2019 शनिवार षष्ठी हस्ता नक्षत्र में 15:04 - 31:12 बजे तक
30 जनवरी 2019 बुधवार दशमी अनुराधा नक्षत्र में 15:38 - 16:40 बजे तक
19 अप्रैल 2019 शुक्रवार पूर्णिमा चित्रा नक्षत्र में 16:42 - 19:29 बजे तक
02 मई 2019 गुरुवार त्रयोदशी उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में 06:42 - 27:21 बजे तक
06 मई 2019 सोमवार द्वितीया कृतिका नक्षत्र में 16:36 - 19:36 बजे तक
16 मई 2019 गुरुवार द्वादशी हस्ता नक्षत्र में 05:42 - 20:20 बजे तक
18 मई 2019 शनिवार पूर्णिमा विशाखा नक्षत्र में 26:22 - 26:41 बजे तक
23 मई 2019 गुरुवार पंचमी उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में 05:27 - 23:48 बजे तक
29 मई 2019 बुधवार दशमी उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में 15:21 - 28:04 बजे तक
30 मई 2019 गुरुवार एकादशी रेवती नक्षत्र में 05:24 - 22:15 बजे तक
03 जून 2019 सोमवार पूर्णिमा रोहिणी नक्षत्र में 15:32 - 26:48 बजे तक
10 जून 2019 सोमवार अष्टमी पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में 14:21 - 22:24 बजे तक
13 जून 2019 गुरुवार एकादशी चित्रा नक्षत्र में 11:51 - 27:37 बजे तक

गृह प्रवेश

हर व्यक्ति का एक सपना अवश्य होता है और वो है एक घर का जहां वह अपने परिवार के साथ सुख, समृद्धि, प्रेम, विश्वास के साथ जीवन जी सके। घर वह स्थान होता है जहाँ मनुष्य अपना अधिकतम समय व्यतीत करता है। ये माना गया है कि घर का माहौल एवं वास्तु परिवार के सदस्यों के व्यवहार और जीवन को प्रभावित करतें है। प्रायः मनुष्य अपने नए घर मे कई उम्मीद, जिज्ञासा, इच्छा, संकल्प के साथ प्रवेश करता है और वह चाहता है कि घर में उसका व पूरे परिवार का जीवन सुख, शांति व सुचारू रूप से व्यतीत हो, सभी की इच्छापूर्ति हो, इसलिए ही वह गृह प्रवेश के लिए ज्योतिषाचार्य से उचित समय, दिन, वार निकलवाता है।

गृह प्रवेश क्या है?

नए घर में सभी सुख, समृद्धि से रहे कोई रुकावट न आए उसके लिए ऋषियों ने विशेष समय व विधि विकसित की है जिसकी मदद से उस दिन, उस समय किया गया कार्य अपने श्रेष्ठ रूप से सम्पन्न होता है। इसी विधि को अपनाते हुए वर्तमान समय मे लोग गृह प्रवेश के लिए उचित समय, दिन, वार निकलवाते है जिसे गृह प्रवेश मुहूर्त कहते हैं।

घर नया हो या किराए का अलग घर मे प्रवेश नए जीवन को दर्शाता है। सभी महत्वपूर्ण विचार, निर्णय घर मे ही लिए जाते है ऐसे में घर का वास्तु, शांति या किसी प्रकार का दोष व्यक्ति के विचार एंव जीवन पर ही पड़ता है। और गृह प्रवेश मुहुर्त इन्हीं दोषों को दूर करने का उपाय है ताकि घर मे शांति और सकारात्मकता का संचालन कर जीवन की कई रुकावटों को दूर किया जा सके। आम तौर पर गृह प्रवेश तीन प्रकार के होते है:-

  • पहला अपूर्व गृह प्रवेश : जब बिल्कुल नए बनाये घर में मुहूर्त के अनुसार गृह प्रवेश हो तब उसे अपूर्व गृह प्रवेश कहते है।
  • दूसरा सपूर्व गृह प्रवेश : जब किराए के घर या अपने ही पुराने घर मे सालो बाद वापस आया जाता है तब उसे सपूर्व गृह प्रवेश कहते हैं।
  • तीसरा द्वंद्धव गृह प्रवेश : जब किसी विपदा या आपदा में घर छोड़कर जाना पड़े और सालों बाद घर वापस आया जाता है तो उसे द्वंद्धव गृह प्रवेश कहते हैं।

इन तीनो में ही गृह प्रवेश का उचित समय, वार, दिन अर्थात मूहर्त का होना अति आवश्यक होता है।

क्यों किया जाता है गृह प्रवेश मुहूर्त ?

समय बदलने के साथ- साथ मनुष्य ने हर कार्य को अपने अनुसार आसानी व जल्दी से करने के कई रास्ते खोज लिए है फिर चाहे वह पूजा-पाठ क्यों न हो। वर्तमान समय मे मनुष्य जल्द से जल्द व आसानी से गृह प्रवेश करने के रास्ते ढूंढता है। जिस कारण वह गृह प्रवेश का सही मुहूर्त व पूरी विधि विधान पर ध्यान नहीं देता लेकिन बाद में विपदाओं, समस्याओं, रुकावटों से घिर जाने के बाद उसका ध्यान इस बारे में जाता है। इसलिए हिन्दू शास्त्रों में गृह प्रवेश को उसके उचित मुहूर्त व उचित विधान से करना अति आवश्यक बताया गया है। ये माना जाता हैं कि जिस वक़्त कोई मकान बनता है तब उसमे कई तरह के मजदुर व लोग आते है और वे सब अलग-अलग ऊर्जा लेकर उस घर में प्रवेश करते है जिससे घर की छत पड़ने के बाद कई बुरी शक्तियां उसमें वास कर जाती हैं जिसका नकारात्मक प्रभाव वहां रहने वाले लोगों पर पड़ता है।

इसके अलावा किराए पर लिए गए मकान में भी कई अनुचित कार्य घटित होते हैं जैसे किसी की हत्या होना, टोटका या वास्तु दोष आदि। इन सभी नकारात्मक ऊर्जाओं से बचने व घर मे पवित्रता का वास कराने के लिए मनुष्य की जन्म कुंडली और राशि को देखकर ज्योतिषाचार्य द्वारा शुभ मुहूर्त निकालकर घर का शुद्धिकरण करना ज़रूरी होता है जिससे नज़र दोष और वास्तु दोष अपना स्थान छोड़ देते हैं।

गृह प्रवेश मुहूर्त करने के लाभ

कुंडली, नक्षत्रों को ध्यान में रखते हुए उचित समय पर पूरे विधि विधान के साथ संपन्न किये गए गृह प्रवेश का घर मे रहने वाले सभी सदस्यों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। माना गया हैं कि ऐसा करने से आपसी प्रेम, ठीक स्वास्थ्य, बेहतर आर्थिक स्थिति, घर मे सुख एवं समृद्धि और उस घर में देवी देवताओं का वास हो जाता है। यदि गृह प्रवेश के समय उचित पूजा, मंत्र जाप नहीं होतें तो उससे वास्तु दोष, नकारात्मक ऊर्जा अपना स्थान नही छोड़ पाती जिससे आने वाले समय मे परिवार के अलग अलग सदस्यों को मुसीबतों, बीमारी जकड़ लेती है। इसलिए ही गृह प्रवेश मुहूर्त के समय की गई अलग-अलग पूजा व मंत्र जाप हर क्षेत्र में परिवार की शांति को बनाए रखते हैं, जैसे रसोईघर की पूजा-सेहत व भोजन संबंधी समृद्धि के लिए, पानी रखने के स्थान पर इंद्र देव की पूजा-स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या के लिए, मुख्य द्वार की पूजा-बुराइयों को बाहर रखने के लिए व कुल देवी-देवताओं की पूजा-उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए, आदि कारणों के लिए भी गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त में किया जाना अनिवार्य होता है।

गृह प्रवेश मुहूर्त की सही विधि

  • गृह प्रवेश मुहूर्त का सही प्रभाव एवं लाभ तभी मिलता है जब इसे उचित व पूर्ण विधि विधान के साथ संपन्न किया जाए।
  • गृह प्रवेश से पहले मुहूर्त ज्योतिषी द्वारा व्यक्ति की कुंडली, नक्षत्रों के अनुसार ही निकलवाना चाहिए।
  • गृह प्रवेश के समय दंपत्ति को कलश के साथ मंगल गीत गाते हुए ही घर में प्रवेश करना चाहिए।
  • घर में प्रवेश करते हुए पुरुष अपना दायाँ पैर व स्त्री अपना बायाँ पैर पहले घर में रखें।
  • घर को रंगोली, फूलों से सजाएं।
  • दंपत्ति पांच मांगलिक वस्तुएं- नारियल, गुड़, चावल, पीली हल्दी, आम के पत्ते, दूध के साथ घर में प्रवेश व पूजा करें।
  • घर मे भगवान गणेश मूर्ति, दक्षिणावर्ती शंख व श्री यंत्र स्थापित करके भगवान गणेश का ध्यान करें।
  • घर के रसोईघर, स्टोर रूम, पानी रखने के स्थान पर पूजा करें व पूरे घर में कलश के शुभ जल का छिड़काव करें।
  • रसोईघर में सबसे पहले दूध उबालें, मिठाई बनाएं या हरी सब्ज़ी बनाएं।
  • गृह प्रवेश पूजा के पश्चात कन्या पूजन, तुलसी पूजन व ब्राह्मण पूजन आवश्य करें।

गृह प्रवेश मुहूर्त के दौरान ध्यान रखें ये सावधानियाँ

गृह प्रवेश के समय कुछ सावधानियों पर भी मुख्य रूप से ध्यान देने की आवश्यकता होती है:-

  • परिवार के या किसी नज़दीकी ज्योतिषाचार्य से ही प्रवेश का सही मुहूर्त निकलवायें।
  • गृहप्रवेश मंगलवार को, पूर्णिमा को, और अमावस्या को नहीं करना चाहिए।
  • पूजा, घर मे प्रवेश के समय ही होनी चाहिए।
  • ग्रह प्रवेश मुहूर्त के समय वास्तु पूजा आवश्य कराएं और साथ ही सबसे पहले अपने भगवान, देवी-देवताओं को नए घर में स्थापित करें।
  • गृह प्रवेश मुहूर्त तब तक न करें जब तक घर के मुख्य द्वार पर दरवाज़ा व घर की छत न हो।
  • यदि परिवार में कोई गर्भवती महिला हो तो उस समय भी गृह प्रवेश करने से परहेज करें।
  • गृह प्रवेश मुहूर्त के 40 दिन बाद तक घर को खाली न छोड़े, ध्यान रहें हर वक़्त घर में कोई एक व्यक्ति उपस्थित हो।
  • गृह प्रवेश मुहूर्त के समय सही प्रकार के मंत्र जाप का ध्यान रखें।
  • ये सुनिश्चित करें कि पूजा के दौरान कोई विघ्न न पड़े, पूरी तरह से हवन शुद्धि हो इस बात का भी ध्यान रखे।

गृह प्रवेश मुहूर्त की कैसे करें गणना ?

  • ज्योतिषाचार्य या ब्राह्मण व्यक्ति की जन्म तिथि, समय, ग्रहो, नक्षत्रों के अनुसार गृह प्रवेश का दिन, वार, समय अर्थात मुहूर्त निकालते हैं।
  • ज्योतिष के अनुसार 2,3,5,7,10,11,12, गृह प्रवेश के लिए शुभ तिथियां मानी जाती हैं।
  • गृह प्रवेश मुहूर्त निकालते समय ग्रहों की स्थिति का जानना भी बेहद आवश्यक होता है।
  • सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण, या किसी अन्य अनुचित ग्रह अवधि में गृह प्रवेश नहीं किया जाता।
  • गृह प्रवेश मुहूर्त निकालने में ज्योतिषीय गणना का विशेष स्थान होता है इसके बिना गृह प्रवेश मुहूर्त सही प्रकार से नहीं निकला जा सकता।

इस प्रकार पूरी विधि-विधान से गृह प्रवेश करने से न केवल घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है, बल्कि घर पर पड़ने वाली अनष्टि शक्तियों का नाश भी हो जाता है।

हम आशा करते हैं कि गृह प्रवेश मुहूर्त पर आधारित इस लेख में दी गई जानकारी आपके लिए उपयोगी सिद्ध हो।