हिंदू धर्म और वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह का बड़ा महत्व है। शनि को सूर्य पुत्र और नव ग्रह में सर्वश्रेष्ठ माना गया है। शनि के संबंध में अनेक गलत धारणाएं प्रचलित हैं जिस वजह से शनि को अशुभ और दुख का कारक माना जाता है लेकिन यह सही नहीं है। शनि शत्रु नहीं बल्कि मित्र है। शनि मोक्ष देने वाला एकमात्र ग्रह है। शनि एक न्याय प्रिय ग्रह है जो हर प्राणी के साथ न्याय करता है लेकिन जो लोग अनैतिक और गलत कार्य करते हैं उन्हें शनि का दंड भोगना पड़ता है। वैदिक ज्योतिष में शनि के प्रभाव का बड़ा महत्व है। शनि गोचर, शनि की महादशा और साढ़ेसाती के फलस्वरूप मनुष्य के जीवन में बड़े परिवर्तन होते हैं, हालांकि ये परिवर्तन सुखद और कष्टकारी दोनों हो सकते हैं। इसका फल मनुष्य के कर्म और राशि व कुंडली में शनि की चाल और स्थिति पर निर्भर करता है। विभिन्न भावों में शनि के गोचर करने से अलग-अलग- फलों की प्राप्ति होती है। वर्ष 2017 में शनि अपनी राशि बदलेंगे और अन्य राशियों में गोचर करेंगे।
साल के आरंभ में शनि वृश्चिक राशि में स्थित होगा। 26 जनवरी को वृश्चिक राशि से चलकर शनि धनु राशि में गोचर करेगा। 6 अप्रैल से शनि धनु राशि में वक्रीय हो जाएगा यानि विपरीत दिशा में गति करने लगा और 25 अगस्त धनु राशि में रहेगा। इस दौरान 21 जून बुधवार को शनि दोबारा वृश्चिक राशि में गोचर करेगा। 26 अक्टूबर गुरुवार को शनि दोबारा धनु राशि में प्रवेश करेगा। 4 दिसंबर सोमवार को सूर्य के समीप होने पर शनि का प्रभाव कम हो जाएगा और 8 जनवरी 2018 तक शनि इसी अवस्था में रहेगा। शनि के इस गोचर का प्रभाव सभी राशियों पर होगा। आईये जानते हैं आपकी राशि पर शनि के गोचर का क्यो होगा असर ?
साल की शुरुआत में शनि धनु राशि में संचरण
करेगा। इसके फलस्वरूप शनि का गोचर मेष राशि से नौंवे भाव में होगा। चूंकि मेष राशि
के जातकों के लिए शनि देव दसवें और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं इसलिए शनि के नौंवे
भाव में गोचर करने की वजह से करियर की शुरुआत थोड़ी धीमी होगी। ऑफिस में तनाव और चुनौती
का सामना करना पड़ सकता है इसलिए हर हालात में धैर्य बनाए रखने की ज़रुरत है। जून से
अक्टूबर तक का वक्त परेशान करने वाला होगा। क्योंकि इस दौरान आमदनी और करियर के मोर्चे
पर परेशानी आएगी। शनि जब वक्रीय गति करते हुए आपके आठवें भाव में गोचर करेगा। इस दौरान
सफलता के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। आपके भाई-बहनों को चुनौतियों का सामना करना पड़
सकता है। गुस्सा ना करें तो यह आपके लिए बेहतर होगा। अक्टूबर के आखिरी में शनि दोबारा
आपके नौंवे में संचरण करेगा। यह वह समय होगा जब आप अपने विरोधियों पर हावी होंगे और
वे लोग आपसे सुलह करने के लिए मजबूर हो जाएंगे। परेशानी व तनाव दूर होगा और आप सुकून
महसूस करेंगे।
उपाय: काली गाय को घी लगी रोटी खिलाएं।
साल की शुरुआत में शनि का गोचर वृषभ राशि
से आठवें भाव में होगा। वृषभ राशि वालों के लिए शनि नौंवे और दसवें भाव का स्वामी है।
ये भाव भाग्य, कर्म और व्यवसाय को दर्शाते हैं। शनि के आठवें में गोचर करने की वजह
से पिता की सेहत में गिरावट से परेशानी हो सकती है। संयमित व मर्यादित भाषा बोलें और
विवाद से बचने की कोशिश करें। क्योंकि गलत भाषा के इस्तेमाल से रिश्तों में कड़वाहट
आ सकती है। भाग्य का साथ मिलता रहेगा लेकिन कभी-कभी निराशा भी हाथ लगेगी इसलिए सफलता
पाने के लिए कड़ी मेहनत और बेहतर प्रयास करें। सेहत को लेकर थोड़ा सतर्क रहें क्योंकि
पुरानी बीमारी फिर से परेशान कर सकती है। परिवार के लोगों को साथ लेकर चलना होगा, बच्चों
और दोस्तों के साथ मधुर रिश्ते बनाकर चलें। जून से अक्टूबर का समय करियर के लिए अनुकूल
रहेगा। क्योंकि शनि वक्रीय गति करते हुए आपके सातवें भाव में होगा। इस दौरान आपको कई
अवसर मिलेंगे हालांकि शनि के दोबारा आठवें भाव में लौटने पर किसी बुरे अनुभव का सामना
करना पड़ सकता है।
उपाय: काले कपड़े और जूता दान करें।
इस वर्ष शनि का गोचर मिथुन राशि से सातवें
भाव में होने पर मिश्रित परिणाम मिलेंगे। मिथुन राशि के जातकों के लिए शनि आठवें और
नौंवे भाव का स्वामी है। ये भाव किसी बड़े परिवर्तन, दीर्घायु और भाग्य आदि से संबंधित
है। इस साल कड़ी मेहनत की बदौलत ऑफिस व कार्य स्थल पर मान-सम्मान में बढ़ोतरी होगी।
वैवाहिक जीवन में कुछ परेशानियां आ सकती हैं। अक्टूबर के अंत में शनि के वक्रीय गति
करते हुए सातवें भाव में आने से भाग्य आपका साथ देगा। इस वर्ष अपार सफलता और शुभ समाचार
मिलने वाले हैं। मां की सेहत बिगड़ सकती है इसलिए उनकी खास देखभाल करें। इस साल आप
किसी नई जगह पर शिफ्ट करने की तैयारी कर सकते हैं। वातावरण में बदलाव होने से सामाजिक
दायरा बढ़ेगा।
उपाय: मध्य अंगुली में काले घोड़े की नाल पहनें।
शनि का गोचर कर्क राशि से छठवें भाव में होगा। कर्क राशि वालों के लिए शनि सातवें और
आठवें भाव का स्वामी है। ये भाव पत्नी, व्यापारिक साझेदारी, किसी बड़े परिवर्तन और
दीर्घायु आदि से संबंधित है। शनि के छठवें भाव में गोचर करने से परिजनों व जीवन साथी
के साथ किसी बात पर मतभेद हो सकता है। अगर आपने समझदारी से काम नहीं लिया तो हालात
बिगड़ सकते हैं। जून से अक्टूबर के बीच शनि का गोचर पांचवें भाव में होने से विवादों
से बचने की कोशिश करें वरना रिश्ते प्रभावित हो सकते हैं। बच्चों की सेहत का ख्याल
रखें। पढ़ाई-लिखाई में अड़चनें पैदा होंगी। अक्टूबर के आखिरी में शनि वक्रीय करते हुए
छठवें भाव में प्रवेश करेगा। इस समय में परिवार के लोगों की बातों को अच्छे से सुनें
और फिर अपनी राय दें। भाई-बहनों के साथ समय व्यतीत करें और उनसे स्नेह का भाव रखें।
कानूनी विवाद में फंस सकते हैं लेकिन आखिरी में जीत आपकी ही होगी। सेहत का खास ख्याल
रखें क्योंकि पुरानी बीमारी से परेशानी हो सकती है। छुट्टी मनाने के लिए या किसी अन्य
वजह से विदेश यात्रा पर जा सकते हैं।
उपाय: पक्षियों को सात तरह के अनाज और दाल खिलाएं।
साल की शुरुआत में शनि का गोचर सिंह राशि
से पांचवें भाव में होगा। सिंह राशि वालों के लिए शनि छठवें और सातवें भाव का स्वामी
है। ये भाव संघर्ष, शत्रु, बीमारी, पत्नी और व्यापारिक साझेदारी आदि को दर्शाता है।
शनि के पांचवें भाव में गोचर करने की वजह से इस साल लव मैरिज के योग बन रहे हैं हालांकि
राह आसान नहीं होगी कुछ चुनौतियां भी सामने आएंगी। प्रेमी युगल के लिए यह साल अच्छा
रहने वाला है क्योंकि वक्त के साथ-साथ प्यार बढ़ेगा और संबंधों में मजबूती आएगी। आय
में वृद्धि होगी और कार्य स्थल पर मान-सम्मान बढ़ेगा। आप नई नौकरी के बारे में भी सोच
सकते हैं। शनि के चौथे भाव में गोचर करने की वजह से स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो सकती
है। विवादों की वजह से पारिवारिक रिश्तों पर बुरा असर पड़ेगा। अक्टूबर में शनि का गोचर
पांचवें भाव में होने से आर्थिक मोर्चे पर परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इस साल
वित्तीय प्रबंधन पर ध्यान देने की जरुरत है इसलिए बेवजह खर्च करने से बचें।
उपाय: पीपल के पेड़ के नीचे सरसो तेल का दिया लगाएं।
साल की शुरुआत में शनि का गोचर कन्या
राशि से पांचवें भाव में होगा। शनि आपकी राशि में पांचवें और छठवें भाव का स्वामी है।
ये भाव शिक्षा, बच्चों, संघर्ष, शत्रु और रोग आदि से संबंधित है। शनि का गोचर पांचवें
में भाव में होने से आप किसी नई जगह पर शिफ्ट होने के बारे में सोच सकते हैं। गुस्से
पर नियंत्रण और मानसिक शांति बनाये रखें। जून में शनि वक्रीय गति करते हुए आपकी राशि
से चौथे भाव में आएगा। यह समय आपकी माता जी के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं रहेगा।
प्रॉपर्टी से संबंधित विवाद भी हो सकते हैं। काम की अधिकता आपकी सेहत पर हावी रहेगी।
अक्टूबर के अंत में शनि का गोचर आपकी राशि से पांचवें भाव में होगा। इस दौरान सफलता
पाने के लिए आपको कड़ी मेहनत करनी होगी। कार्य स्थल पर कोई खास प्रगति नहीं होगी, उम्मीद
के मुताबिक नतीजे नहीं मिलेंगे।
उपाय: हर शनिवार हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाएं।
शनि आपका योग कारक ग्रह है और इसका आपके
जीवन में बड़ा महत्व है। शनि आपकी राशि में चौथे और पांचवें भाव का स्वामी है। ये भाव
माता, वाहन, शिक्षा और बच्चों आदि से संबंधित है। इस वर्ष शनि का गोचर तुला राशि से
तीसरे भाव में होगा। इस दौरान आप तेजी से फैसले लेंगे और सफलता पाने के लिए दृंढ संकल्प
के साथ आगे बढ़ेंगे। छोटी या लंबी दूरी की यात्रा के योग बन रहे हैं। जून में शनि का
गोचर आपकी राशि से दूसरे भाव में होगा। यह समय परिवार में विवाद की स्थिति पैदा कर
सकता है। जमीन-जायदाद के मामलों में लाभ की संभावना बन रही है। अक्टूबर के आखिरी में
शनि वक्रीय गति करते हुए आपकी राशि से तीसरे भाव में गोचर करेगा। इस दौरान काम के सिलसिले
में लंबी दूरी की यात्रा से लाभ की संभावना बन रही है। आमदनी के हिसाब से खर्च करें
और फिजूलीखर्ची से बचें। छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए अच्छे अवसर मिलेंगे। शनि के
गोचर के प्रभाव से यह साल आपके लिए लाभकारी साबित होगा।
उपाय: शनिवार को बंदर और काले कुत्ते को लड्डू खिलाएं।
इस वर्ष शनि का गोचर आपकी राशि से दूसरे
भाव में होने की वजह से पारिवारिक जीवन में तनाव बढ़ेगा और विवाद की स्थिति उत्पन्न
होगी। शनि आपकी राशि में तीसरे और चौथे भाव का स्वामी है। ये भाव प्रयास, संचार, भाई-बहन,
माता और वाहन आदि संबंधित हैं। शनि के दूसरे भाव में संचरण करने से परिवार से दूर रहना
पड़ सकता है। कार्य स्थल पर तरक्की होगी और आमदनी बढ़ेगी। आपको कोई बेहतरीन अवसर मिलेगा।
जून में शनि का गोचर आपकी राशि में होगा। इसके परिणामस्वरूप मानसिक तनाव बढ़ेगा। सेहत
पर भी बुरा असर पड़ सकता है इसलिए संतुलित और स्वच्छ भोजन करें। सेहतमंद रहने के लिए
सुबह-शाम सैर पर जाएं। अक्टूबर के आखिरी में शनि वक्रीय गति करते हुए आपकी राशि से
दूसरे भाव में गोचर करेगा। इसके फलस्वरूप परिजनों के साथ रिश्ते और बेहतर होंगे।
उपाय: कुष्ठ रोगियों की सेवा करें।
इस वर्ष शनि का गोचर धनु राशि में होगा इसलिए यह समय आपके लिए मुश्किल रहने वाला है।
मानसिक तनाव और परेशानी बढ़ेगी। शनि आपकी राशि में दूसरे और तीसरे भाव का स्वामी है।
ये भाव धन, परिवार, भाषा, भाई-बहन और प्रयास आदि से संबंधित है। चूंकि शनि आपकी राशि
में गोचर करेगा इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि यदि कोई बीमारी जिसका पहले से इलाज चल
रहा है उसमें बिल्कुल लापरवाही ना बरतें वरना बड़ी हानि हो सकती है। स्वस्थ रहने के
लिए नियमित व्यायाम और संतुलित भोजन करें। भाई-बहन के जीवन में सुख और समृद्धि आएगी।
जून में शनि का गोचर आपकी राशि से बारहवें भाव में होने पर दांपत्य जीवन में तनाव रहेगा।
विवाद बढ़ने से जीवन साथी के साथ मनमुटाव हो सकता है इसलिए सोच-समझकर बोलें। जीवन साथी
की भावनाओं का सम्मान करें। अक्टूबर के अंत में दोबारा शनि का गोचर आपकी राशि में होगा।
इस दौरान काम की अधिकता से सक्रियता बढ़ेगी इसलिए बड़े लक्ष्य बनाएं। कार्य स्थल पर
व्यस्तता की वजह से मानसिक शांति प्रभावित होगी।
उपाय: शराब और मांसाहार के सेवन से दूर रहें।
शनि देव आपकी लग्न राशि और द्वितीय भाव
के स्वामी हैं। यह आपके चरित्र, व्यक्तित्व, दीर्घायु दर्शाता है जबकि द्वितीय भाव
धन, परिवार और भाषा से संबंधित है। इस वर्ष शनि का गोचर मकर राशि से बारहवें भाव में
होने से हानि की संभावना बन रही है। स्वास्थ्य संबंधी समस्या से परेशानी हो सकती है।
हालांकि अच्छी बात यह है कि गोचर के प्रभाव से विदेश यात्रा के योग भी बन रहे हैं।
जून में शनि आपकी राशि से ग्यारहवें भाव में संचरण करेंगे। यह वह समय होगा जब आपको
तरक्की के कई अवसर मिलेंगे, आपके हाथ कोई बड़ी कामयाबी लग सकती है। अक्टूबर के आखिरी
में शनि दोबारा बारहवें भाव में गोचर करेंगे। इस दौरान सेहत का ख्याल रखें, क्योंकि
मौसमी बीमारी से परेशानी हो सकती है। आय की तुलना में खर्च ज्यादा होने से परेशानियां
बढ़ेंगी। कानूनी केस और विवाद भी समस्या बढ़ाएंगे। कोई भी कदम उठाने से पहले अच्छे
से सोचें और फिर आगे बढ़ें। विदेश से सफलता मिलने के योग बन रहे हैं। जून के बाद का
समय बेहद अच्छा है इसलिए कड़ी मेहनत से इसका दोहन करें।
उपाय: शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ करें व 11 नारियल नदी में प्रवाहित करें।
न्याय प्रिय शनि देव आपकी लग्न राशि के स्वामी हैं। यह आपके चरित्र, व्यक्तित्व और
दीर्घायु को दर्शाते हैं। शनि देव आपकी राशि में बारहवें भाव के भी स्वामी हैं। यह
भाव हानि, खर्च, अस्पताल और सुख-सुविधाओं को दर्शाता है। इस वर्ष की शुरुआत में शनि
का गोचर आपकी राशि से ग्यारहवें भाव में होगा। इसके फलस्वरूप कार्य क्षेत्र में हर
वक्त अच्छे अवसर मिलेंगे और आय में वृद्धि होगी। खुशहाल जीवन का जो सपना आपने देखा
है वो पूरा होने वाला है। जून में शनि आपकी राशि से दसवें भाव में गोचर करेंगे। इस
दौरान आय अच्छी रहेगी लेकिन खर्चों पर नियंत्रण रखने की जरुरत होगी। अक्टूबर में शनि
का गोचर आपकी राशि से ग्यारहवें भाव में होगा। यह समय आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
क्योंकि इस दौरान कड़ी मेहनत करने से अच्छे नतीजे मिलेंगे। पहले से चली आ रही बीमारी
से मुक्ति मिलेगी। हालांकि प्रेम संबंध के लिए समय अनुकूल नहीं है। परेशान रहने से
तनाव बढ़ेगा इसलिए मानसिक शांति के लिए नियमित रूप से योग और प्राणायाम करें।
उपाय:मंदिर में सरसो के तेल का दान करें।
साल की शुरुआत में शनि का गोचर मीन राशि
से दसवें भाव में होगा। ऐसे में आय कम होगी और खर्च बढ़ेंगे। शनि देव आपकी राशि में
ग्यारहवें और बारहवें भाव के स्वामी है। ये भाव आय, लाभ, सफलता, खर्च और हानि से संबंधित
होते हैं। इस वर्ष बेवजह के खर्चों पर लगाम लगानी होगी। मां की सेहत को लेकर भी परेशानी
हो सकती है। जून में शनि आपकी राशि से नौंवे भाव में गोचर करेगा। इस समय आप नई नौकरी
के बारे में सोच सकते हैं। काम के सिलसिले में विदेश जा सकते हैं। अक्टूबर के अंत में
शनि देव दोबारा आपकी राशि से दसवें भाव में गोचर करेंगे। यह समय प्रेम और वैवाहिक जीवन
के लिए अनुकूल नहीं होगा। क्योंकि व्यस्त दिनचर्या की वजह से आप जीवन साथी को समय नहीं
दे पाएंगे और इसी वजह से विवाद की स्थिति बन सकती है, इसलिए बेहतर उपाय के तौर पर जीवन
साथी और परिजनों को समय दें और कुछ ऐसा करने की कोशिश करें जिससे सभी को खुसी मिले।
उपाय: शनिवार को काले कुत्ते को कुछ खिलाएं।